हमसे जानिए पैडमैन देखने की ये ८ वजह
अक्षय कुमार, सोनम कपूर और राधिका आप्टे की आने वाली फिल्म पैडमैन को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. इस फिल्म को रिलीज़ से पहले ही कई फिल्म समीक्षकों ने हिट क़रार दे दिया है. लेकिन फिर भी अगर आपके मन में ये सवाल उठ रहा है कि इस फिल्म को क्यूं देखें तो हमसे जानिए पैडमैन देखने की मुख्य वजह:
- जोड़ी कमाल की
पहली बार अक्षय कुमार और राधिका आप्टे एक साथ एक फ़िल्म में नज़र आएंगे. दोनों ही अलग तरह का सिनेमा करने के लिए जाने जाते हैं. इन दोनों का कॉम्बो देखना मज़ेदार होगा.
- लार्जर दैन लाइफ़ नहीं
पैडमैन आम बॉलीवुड मसाला फ़िल्मों से हटके है. एक अछूते विषय पर इस फिल्म की कहानी आधारित है और इसे काफ़ी सरल बनाया गया है. फ़िल्म में आम भारतीय परिवारों के जैसे किरदार देखने को मिलेंगे.
- एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट
हालांकि फ़िल्म एक सामाजिक मुद्दे को उठाती है लेकिन फ़िल्म को काफ़ी मज़ेदार अंदाज़ में बनाया गया है. एक रियल कैरेक्टर की ज़िंदगी पर फ़िल्म बनाने के लिए थोड़ी नाटकीयता का पुट भी डाला गया है. फ़िल्म की प्रोड्यूसर और अक्षय की पत्नी ट्विंकल का कहना था कि फ़िल्म अगर एंटरटेनिंग नहीं होगी तो उसे कोई क्यों देखेगा.
- टैबू ख़त्म करने की कोशिश
समाज में वर्जित माने जाने वाले एक विषय पर फ़िल्म बनी है. जिस तरह से फ़िल्म में महिलाओं से जुड़े एक अहम मुद्दे को दर्शाया गया है उससे इस फ़िल्म के लिए जिज्ञासा बढ़ जाती है.
- दमदार प्रोड्यूसर
फ़िल्म को सोनी पिक्चर्स ने को-प्रोड्यूस किया है. सोनी पिक्चर्स के प्रेसिडेंट अक्षय और ट्विंकल से बेहद प्रभावित हुए. उनका कहना था कि जिस अंदाज़ में एक अहम मुद्दे को फ़िल्म में उठाया गया है वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है.
- अहम मुद्दे के लिए लड़नेवाला सुपरहीरो
ये सुपरहीरो महिलाओं की बेहतर ज़िंदगी के लिए एड़ी चोटी का दम लगा रहा है. परिवार और समाज की ओर से हो रहे विरोध के बावजूद सबसे लड़कर एक वर्जित मुद्दे को उठा रहा है. इससे पहले किसी सुपरहीरो ने ये कारनामा कभी नहीं किया.
- जागरुकता बढ़ाना फ़िल्म का मकसद
अक्षय कुमार ने कहा था कि इस फ़िल्म का मकसद अरबों रुपये कमाना नहीं बल्कि जागरुक करना है. लोग खुलकर पीरियड और सैनिटरी नैपकिन पर बात करें और एक जागरुक समाज का निर्माण हो. पीरियड के दौरान महिलाओं की सेहत का ध्यान रखा जाए और उन्हें साफ़ सुथरा वातावरण मिले जिससे कि उन्हें पीरियड से जुड़ी बीमारियां ना हों.
- महिला सशक्तिकरण की मिसाल
लड़की की ना का मतलब हां होता है, हीरो का हिरोइन का पीछा करना, आइटम नंबर में भद्दे डांस मूव्स दिखाने वाले बॉलीवुड में इससे पहले कब ऐसी फ़िल्म आई थी? याद है आपको? नहीं ना. सशक्त महिला से सशक्त देश बनता है का नारा देने वाली फ़िल्म को देखना तो बनता है.