पद्मावत के 26 कट्स का राज़ क्या है
बॉलीवुड में एक कहावत बहुत मशहूर है ‘एवरी पब्लिसिटी इज़ गुड पब्लिसिटी’. ये बात ज़्यादातर मौक़े पर सही भी साबित हुई है. इसका हालिया उदाहरण है फ़िल्म पद्मावत. देशभर में इस फ़िल्म को लेकर जो हंगामा हुआ है उससे इस फ़िल्म को फ़ायदा ही हुआ है. करणी सेना समेत उत्तर भारत के राजपूत संगठनों ने पद्मावत के विरोध में कोई कसर नहीं छोड़ी. इन संगठनों के आतंक की वजह से न्यूज़ चैनल्स ने लगातार इस मसले पर कवरेज की जिसकी वजह से पद्मावत की पब्लिसिटी होती रही.
विरोध प्रदर्शनों और हंगामे की वजह से सेंसर बोर्ड को बीच में आना पड़ा. सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर को फ़िल्म में थोड़े बदलाव करने की सलाह दी जिससे राजपूतों का ग़ुस्सा शांत हो सके. इसी वजह से फ़िल्म का नाम पद्मावती से पद्मावत किया गया. फ़िल्म के कई सीन को काटने की भी ख़बरें हैं. फ़िल्म को राजपूतों के ग़ुस्से से बचाने के लिए कई सीन पर कैंची चलाई गई है. हालांकि कितने सीन को काटा गया है इसपर कोई ख़ुलासा नहीं हुआ है. लेकिन फ़िल्म देखने के बाद पता चलता है कि कई सीन के बीच के ज़रूरी सीन ग़ायब हैं.
पद्मावत के मेकर्स का पहले दिन से ये कहना कि फ़िल्म में किसी को भी बुरी रोशनी में नहीं दिखाया गया है पूरी तरह सच निकला. फ़िल्म में राजपूतों के ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं दिखाया गया है. फ़िल्म पूरी तरह राजपूतों का महिमामंडन करती है. राजपूती आन-बान-शान फ़िल्म में कूट कूट कर भरी है. इसीलिए फ़िल्म में अलाउद्दीन खिलजी को एक शैतान के रूप में दर्शाया गया है जबकि इतिहास में दर्ज है कि वो इतना वहशी नहीं था. फ़िल्म में खिलजी को और वहशी दिखाने के लिए और राजपूत राजाओं को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने के लिए ही शायद फ़िल्म में कट्स किए गए हैं. फ़िल्म ख़त्म हो जाने के बाद भी खिलजी के लिए नफ़रत बाक़ी रहती है और इसी मकसद से पद्मावत पर कैंची चलाई गई थी.