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बच्चों पर आधारित रियॉलटी शोज को कर देना चाहिए बैन या फिर होने चाहिए मापदंड तैयार

Sa re ga ma

छोटे पर्दे पर रियलिटी शो की भरमार आ चुकी हैं, सुपर डांसर, सारेगामापा लिटल चैम्प्स, इंडियन आइडल जूनियर, डीआईडी लिटल मास्टर, इंडि‍याज बेस्ट ड्रामेबाज जैसे शोज में दर्शक मासूम से बच्चों की अद्भुत प्रतिभा को देख दांतो तले उंगलियां दबा लेते हैं. तो वहीं ऐसे शोज चैनल और शो के मेकर्स के लिए हमेशा से फायदे का सौदा साबित होते आये हैं क्योंकि इनकी टीआरपी हाई रहती है. ऐसे में इन रियलिटी शोज का कहीं ना कही नकरात्मक प्रभाव बच्चों पर भी पड़ रहा हैं.दरअसल बच्चे तन औऱ मन दोनों से बेहद कोमल होते हैं औऱ जरा से कठोर शब्द उनकी भावना को बेहद ठेस पहुंचाते हैं जैसे तुमने सुर में नही गाया या फिर तुम्हारे गाने का सही चयन नही किया आदि.

जहां इन रियलिटी शोज में बच्चे एकदूसरे बच्चे को अपना दोस्त समझने के बजाय अपना प्रतिस्पर्धी मान लेते हैं देखा जाएं तो जरा से पैसे औऱ शोहरत के लालच में इन मासूमों का बचपन भी इनसे छिन जाता हैं. तो वहीं कभी कभी हार जीत की भागमभाग में ये बच्चे इतने डिप्रेशन में चले जाते हैं कि इन्हें इस से बाहर निकलने के लिए मनोचिक्तिसक का सहारा तक लेना पड़ता हैं.वैसे या तो बच्चों पर आधारित रियॉलटी शो पर प्रतिबंध लग जाना चाहिए या फिर इस तरह के रियलिटी शोज के लिए मापदंड तैयार किए जाने चाहिए. जैसे की इस तरह के रियलिटी शो के लिए बच्चों की आयुसीमा तय की जानी चाहिए. तो वहीं शो के दौरान जजों की वाणी में संयम व व्यवहार में शालीनता होने के साथ-साथ जजों को इस बात का भी विशेष रुप से ध्यान रखना चाहिए कि वह किसी एख बच्चे को विशेष रुप से गिफ्ट देकर बाकि के बच्चों को हतोत्साहित ना करें.इसी के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखा जाएं कि बच्चों के एलिमेनिशेन को ज्यादा बढ़ा चढाकर पेश ना किया जाएं.

Manoj L

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