फ़िल्मों में चमकने के लिए तैयार – जिम सर्भ
‘पद्मावत’ रिलीज़ हो गई है और हर किसी की ज़ुबान पर बस एक ही नाम है- रणवीर सिंह. खिलजी के रोल में उनके काम को हर कोई सराह रहा है. लेकिन एक और किरदार है जिसकी तारीफ़ करनी बनती है. और वो एक्टर हैं जिम सर्भ. जिम ने पद्मावत में खिलजी के दाहिने हाथ मलिक काफ़ूर का किरदार निभाया है. मलिक काफ़ूर का किरदार काफ़ी मुश्किल रहा है क्योंकि उसमें एक के बाद एक कई परतें हैं. इस किरदार में कई विरोधाभासी इमोशन हैं जिन्हें बख़ूबी निभाने के लिए जिम की तारीफ़ होनी चाहिए. जिम ने पहले भी अपनी ज़बरदस्त एक्टिंग से सबको चकित किया है, जैसे कि फ़िल्म ‘नीरजा’. ‘नीरजा’ में जिम ने खूंखार आतंकी का मुश्किल किरदार बेहद आसानी से निभाया था और उस किरदार की समीक्षकों ने दिल खोलकर तारीफ़ की थी.
जिम की ख़ासियत है कि वो जिस भी किरदार को निभाते हैं वो पूरी तरह उसके रंग में मिल जाते हैं. पर्दे पर हम जिम को नहीं बल्कि ‘आतंकी’ और ‘मलिक काफ़ूर’ को देख रहे होते हैं. ये ख़ूबी कुछ ही एक्टर्स में है और जिम उनमें से एक हैं. ‘पद्मावत’ में मलिक काफ़ूर एक ग़ुलाम है जिसे खिलजी की ख़्वाहिशें पूरी करने के लिए महल में लाया जाता है. अपने इस काम को काफ़ूर पूरे दिल से करता है. अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाते निभाते खिलजी के काफ़ी क़रीब आ जाता है काफ़ूर. इतना क़रीब कि जब खिलजी का पद्मावती के लिए पागलपन हद से ज़्यादा बढ़ जाता है तो उसे इस बात से जलन होती है. लेकिन इस जज़्बात को दर्शाने के लिए किसी तरह की अश्लीलता का सहारा नहीं लिया गया है. फ़िल्म में कई सीन हैं जहां मलिक काफ़ूर और खिलजी के बीच की केमिस्ट्री पद्मावती और रतन सिंह की केमिस्ट्री से ज़्यादा निखरकर सामने आई है.
एक गे किरदार को निभाना आसान नहीं होता. ख़ासतौर पर बॉलीवुड में जहां होमोसेक्शुअल लोगों को बेहद स्टीरियोटाइप करके दिखाते हैं. लेकिन जिम ने ऐसा मुश्किल रोल निभाया है जिसमें कई जज़्बात हैं और वो जज़्बात एक दूसरे को ओवरटेक नहीं करते. जिम सर्भ ने अपनी क़ाबिलियत से ये साबित किया है कि वो आने वाले दौर के बेहतरीन एक्टर हैं.