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क्या उम्मीदों पर खरी उतरेगी मधुर भंडारकर की इंदु सरकार ?

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1975-77 के आपातकाल के दौर पर आधारित फिल्म ‘इंदु सरकार’ के ट्रेलर के बाद से ही सियासी कमान तन गए थे. दरअसल फिल्म के किरदार दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व संजय गांधी से प्रेरित हैं.जिस वजह से कांग्रेस को आपत्ति है कि इससे उनकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.लेकिन भंडारकर ने इस पर सफाई देते हुए कहा था कि इस फिल्म में डिस्क्लेमर दिखाकर बताएंगे कि फिल्म ज्यादातर काल्पनिक है. ये आपातकाल का वो दौर था जब तानाशाही अपनाकर आवाज उठाने वालों को जेल में डाला जा रहा था.

क्या बदल रहा हैं बॉलीवुड का मिजाज

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आज के हिंदी सिनेमा ने तमाम तरह की रूढ़ियों को तोड़ते हुए अपने समय की नब्ज को पहचाना और नया दर्शक वर्ग तैयार किया है. इसने विषय, भाषा, पात्र, प्रस्तुति सभी स्तरों पर अपने को बदला है. आज सिनेमा ने मनोरंजन के अर्थ और पैमाने बदले हैं. सिनेमा ने समझ लिया है कि बदला हुआ यह दर्शक केवल लटकों-झटकों से संतुष्ट नहीं होने वाला, उसे कुछ ठोस देना होगा. इसकी शुरुआत लगान जैसी फिल्मों से हुई, जिसके बाद स्वदेश, चक दे इंडिया, तारे जमीं पर जैसी फिल्मों ने इस ट्रेंड को फॉलो किया.इसके बाद इनसे भी ज्यादा उग्र विषयों पर फिल्में जैसे कि देव-डी, गैंग्स ऑफ वासेपुर और अन्य फिल्में बनाई गई.तो वहीं दूसरी तरफ करण जौहर जैसे सिनेमा के असली व्यवसायी फिल्मकार को भी अपने रूमानी किले से बाहर निकलकर ‘माइ नेम इज खान’ और ‘बॉम्बे टाकिज’ जैसी स्तरीय फिल्में बनाने को मजबूर होना पड़ा. इसी के साथ-साथ समाज की सच्चाई से मिलती-जुलती फिल्में लाइफ इन अ मैट्रो’, ‘ट्रैफिक सिग्नल’, ‘पीपली लाइव’ को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया जो कि एक आम आदमी की कहानी बताती हैं. वहीं अब दोहरे समाज की छवि को दिखाती हुई फिल्मों का ट्रेंड चल पड़ा हैं जैसे लिपस्टिक अंडर माय बुर्का, टॉयलेट एक प्रेमकथा..इसी के साथ –साथ अब लोगों की जीवनी पर भी फिल्में बनाने का दौर चल पड़ा है. दरअसल सिनेमा में क्या दिखाया जा रहा है, यह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि कैसे दिखाया जा रहा है, यह महत्वपूर्ण है. और इसी से दिखाने वाले की मानसिकता का पता चलता है.

रियलिस्टिक होता है मधुर भंडारकर का सिनेमा

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रियलिस्टिक सिनेमा बनाने में माहिर मधुर भंडारकर ने आज तक हमेशा ग्लैमर वर्ल्ड, कॉर्पोरेट, सिस्टम और फिल्मी दुनिया की अंदर की कहानी को दिखाया है. लेकिन अब मधुर भंडारकर को लगा कि इंदु सरकार इमरजेंसी के दौरान की सच्ची घटनाओं पर आधारित है और इसके बारे में युवाओं को बताना बहेद ज़रूरी है क्योंकि उस 21 महीने के इमेरजेसी के दौर से आज के युवा अनजान हैं. हालांकि भंडारकर ने अपनी कई फिल्मों जैसे चांदनी बार में तब्बू, सत्ता में रवीना टंडन, पेज 3 में कोंकणा सेन शर्मा, कॉर्पोरेट में बिपाशा बसु और फैशन में प्रियंका चोपड़ा को मुख्य पात्र बनाया हैं. इसी के साथ साथ उन्होंने अपनी कुछ फिल्में जैसे पेज 3, ट्रैफिक सिग्नल, फैशन में कुछ समलैंगिक पात्रों को चित्रित किया है.उनकी सारी फिल्में कहीं ना कही समाज को एक आईना दिखाती हैं.

मधुर भंडारकर और विवाद

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मधुर भंडारकर औऱ विवाद का चोली दामन का साथ रहा हैं. साल 2004 में उन पर प्रीति जैन ने कास्टिंग काउच का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया. प्रीति ने आरोप लगाते हुए कहा कि 1999 से 2004 तक वो उनके साथ हमबिस्तर हो रही थी क्योंकि उन्होंने एक फिल्म में भूमिका और शादी करने का वादा किया था. हालांकि इस केस में मोड़ तब आया जब पुलिस ने प्रीति को मधुर के नाम की सुपारी देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया, पुलिस का कहना था कि उन्होंने अंडरवर्ल्ड को 70 हज़ार रूपये दिये थे, मधुर को जान से मारवाने के लिए. हालांकि साल 2006 को ये खारिज कर दिया गया था लेकिन 2009 में ये केस रीओपन हुआ औऱ मधुर इस इल्जाम से मुक्त हो गए. तो वहीं हाल ही में मधुर भंडारकर की फिल्म ‘इंदु सरकार’ को बैन करने की मांग को लेकर कांग्रेसियों ने एक पोस्टर रिलीज किया है.

कांग्रेसियों ने फिल्म केनिर्माता मधुर भंडारकर और भाजपा पर आरोप लगाते हुये कहा कि इस फिल्म में गांधी परिवार को लेकर आपत्तिजनक संदर्भ जोड़े गए हैं.और फिल्म में गलत तथ्यों को पेश किया गया है.इसी के साथ-साथ संजय गांधी की कथित बेटी प्रिया पॉल ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर करके फिल्म के डायरेक्टर से पूछा था कि इस फिल्म में क्या काल्पनिक है और क्या वास्तविक. इसके साथ ही उन्होंने फिल्म की रिलीज रोकने की भी मांग की थी. उनका कहना है कि इस फिल्म से उनके पिता संजय गांधी की छवि खराब हो सकती है.फिलहाल कोर्ट ने मधुर को राहत की सांस देते हुए ‘इंदु सरकार’ की रिलीज पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है.फिलहाल आप इस गंभीर मुद्दे के बारे में क्या सोचते हैं कि क्या ऐसी फिल्में बननी चाहिए जो समाज की असलियत या यूं कहे वो पहलू दिखाएं जिससे हम अनजान हैं. आप अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं.

Manoj L

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