वो हिंदी फ़िल्में जो नहीं हो पाईं रिलीज़
पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा फ़िल्में भारत में बनती हैं. लेकिन इन्हीं फ़िल्मों में कई ऐसी भी फ़िल्में हैं जो सिनेमाघर तक नहीं पहुंच पाईं. कभी विवाद, कभी सरकार तो कभी प्रोड्यूसर फ़िल्म की बदक़िस्मती की वजह बने. रिलीज़ ना हो पाई फ़िल्मों पर नज़र दौड़ाते हैं
- किस्सा कुर्सी का (1977)
1977 की इस फ़िल्म में तब की राजनीति पर ज़बरदस्त कटाक्ष किया गया था. इमरजेंसी के दौरान इंदिरा सरकार की तानाशाही पर फ़िल्म आधारित थी जिसे कॉमिक अंदाज़ में बनाया गया था. जानकार बताते हैं कि सरकार ने इस फ़िल्म के प्रिंट जला दिए थे ताकि ये फ़िल्म कभी रिलीज़ ना हो पाए.
- लिबास (1988)
गुलज़ार के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म को आज भी रिलीज़ का इंतज़ार है. एक्सट्रा मैरिटल अफ़ेयर जैसे विषय पर बनी ये एक बोल्ड फ़िल्म थी जिसे उस दौर में रिलीज़ करने की इजाज़त नहीं दी गई. फ़िल्म में शबाना आज़मी, नसीरुद्दीन शाह, राज बब्बर जैसे कद्दावर अभिनेता थे.
- ख़बरदार (1984)
ये एक ऐतिहासिक फ़िल्म हो सकती थी क्योंकि पहली बार अमिताभ बच्चन और कमल हासन इस फ़िल्म में साथ काम कर रहे थे. लेकिन सिनेमाघर तक जाना इस फ़िल्म को नसीब नहीं हुआ.
- ज़मानत (1998)
इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन के साथ करिश्मा कपूर और अरशद वारसी थे. फ़िल्म पूरी होने में कुछ ही अरसा था कि फ़िल्म के डायरेक्टर का निधन हो गया जिसकी वजह से ये फ़िल्म कभी रिलीज़ नहीं हो पाई.
- दस (1996)
इस फ़िल्म में संजय दत्त और सलमान ख़ान भारतीय जासूस का रोल निभा रहे थे. शूटिंग के दौरान डायरेक्टर मुकुल आनंद की मौत होने की वजह से ये फ़िल्म कभी पूरी नहीं हो पाई और ना ही रिलीज़ हो सकी.
- मरुडनायगम (1998)
दिग्गज अभिनेता कमल हासन इस फ़िल्म के डायरेक्टर हैं और फ़िल्म में टाइटल रोल निभा रहे थे. 18वीं सदी के एक राजा की ज़िंदगी पर बन रही इस फ़िल्म का बजट बहुत ज़्यादा था जिसकी वजह से ये फ़िल्म कभी पूरी नहीं हो सकी और रिलीज़ भी नहीं पाई.
- टाइम मशीन (1992)
इस फ़िल्म में आमिर ख़ान, नसीरुद्दीन शाह, रेखा और रवीना टंडन जैसे बड़े नाम शामिल थे. फ़िल्म का बड़ा हिस्सा शूट भी हो गया था. लेकिन फ़िल्म के पूरे होने से पहले ही डायरेक्टर शेखर कपूर हॉलीवुड जाने की तैयारी कर चुके थे. इस वजह से ये फ़िल्म ना ही बन पाई और ना ही रिलीज़ हो पाई.
- कलिंग (1991)
ये फ़िल्म दिलीप कुमार की डायरेक्टोरियल डेब्यू होती. इस फ़िल्म से दिलीप कुमार फ़िल्मों के दूसरे पड़ाव को भी छूना चाहते थे. लेकिन फ़िल्म में देरी की वजह से प्रोड्यूसर ने हाथ पीछे खींच लिए जिस वजह से ये फ़िल्म कभी बन नहीं पाई.
- शिनाख़्त (1988)
इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन के साथ माधुरी दीक्षित की जोड़ी थी जिसे टीनू आनंद बना रहे थे. फ़िल्म शुरू करने के कुछ ही दिन बाद टीनू को लगा कि कहानी गंगा जमुना सरस्वती से मिलती जुलती है. इस वजह से टीनू आनंद ने फ़िल्म को बंद कर दिया.
- चोर मंडली (1983)
इस फ़िल्म में राज कपूर और अशोक कुमार मेन रोल में थे. राज कपूर की ये आख़िरी फ़िल्म थी. फ़िल्म मेकर्स के झगड़े की वजह से ये फ़िल्म कभी रिलीज़ नहीं हो पाई.